आखिर इस स्वतंत्र भारत में गुरुकुलों की स्थापना क्यों नहीं हुई? बाबाओं ने आश्रम बना दिये, मठ बना दिये, चंदे के बलपर बड़े बड़े प्रकल्प चलने लगे, लेकिन गुरुकुलों से दूरी क्यों बनी हुई है? इंग्लैंड में पहला स्कूल 1811 में खुला उस समय भारत में 7,32,000 गुरुकुल थे, आइए जानते हैं हमारे गुरुकुल कैसे बन्द हुए। हमारे सनातन संस्कृति परम्परा के गुरुकुल में क्या क्या पढाई होती थी ? 01 अग्नि विद्या (Metallurgy) 02 वायु विद्या (Flight) 03 जल विद्या (Navigation) 04 अंतरिक्ष विद्या (Space Science) 05 पृथ्वी विद्या (Environment) 06 सूर्य विद्या (Solar Study) 07 चन्द्र व लोक विद्या (Lunar Study) 08 मेघ विद्या (Weather Forecast) 09 पदार्थ विद्युत विद्या (Battery) 10 सौर ऊर्जा विद्या (Solar Energy) 11 दिन रात्रि विद्या 12 सृष्टि विद्या (Space Research) 13 खगोल विद्या (Astronomy) 14 भूगोल विद्या (Geography) 15 काल विद्या (Time) 16 भूगर्भ विद्या (Geology Mining) 17 रत्न व धातु विद्या (Gems & Metals) 18 आकर्षण विद्या (Gravity) 19 प्रकाश विद्या (Solar Energy) 20 तार विद्या (Communication)
🚩प्रियदर्शिन् आर्य श्री राम का जन्मदिवस🔥
भगवान् महर्षि वाल्मिकी मुनि अपनी अमर कृति "पौलस्त्यवध" अर्थात् रामायणम् में कहते हैं कि:
🔥ततो यज्ञे समाप्ते तु ऋतुनां षट् समत्ययु: । ततश्च द्वादशे मासे चैत्रे नावमिके तिथौ ।। नक्षत्रेऽदितिदैवत्ये स्वोच्चसंस्थेषु पञ्चसु। गृहेषु कर्कटे लग्ने वाक्पताविन्दुना सह। कौसल्या जनयद्रामं दिव्यलक्षणसंयुतम् ।। (श्रीमद् वाल्मिकिय रामायणे बालकाण्डे नवम सर्गे ४-५|| श्लोक) प्रस्तोता:- विदुषामनुचर "जाम आर्य वीर"
अर्थात् :- यज्ञ समाप्ति के पश्चात् छह (६) ऋतुएँ व्यतीय होने पर बारहवें (१२) मास में चैत्र की नवमी तिथि को पुनर्वसु नक्षत्र में जब पाँच ग्रह (सूर्य,मङ्गल,बृहस्पति, शुक्र और शनैश्चर) अपने उच्च स्थान में स्थित थे । कर्क लग्न में तथा चन्द्रमा के साथ बृहस्पति के उदय होने पर कौसल्या के गर्भ से श्री राम का जन्म हुआ ।
महाभारत शान्तिपर्व में श्री राम के जन्म विषय में कहा है : "संध्येश समनुप्राप्ते त्रेतायां द्वापरस्य च।"
अर्थात् त्रेता और द्वापर की संधि में राम हुए ।
त्रेता के – १२,९६०००
श्री राम त्रेता और द्वापर के संधि काल में हुए – तो ८,६४०००+ १२,९६००० = २१,६०००० वर्ष हुएँ अब इनका संधि काल = २१६०००० / दो २ भाग करने पर= १०,८०००० वर्ष हुए , अब इसमें संध्याओं का योग करते हैं – ८६४०० + १२९६०० = २,१६,००० / २ = १,०८,००० (ये युग का दशवाँ भाग है जो एक युग से दूसरे युग का संधि काल होता है अतः इसका आधा पूर्व और आधा पश्चात का लेते हैं ) संधि काल + संध्याओ का योग १०,८०,०००+ १,०८,००० = ११,८८,००० वर्ष हुए अब इसमें कलयुग के ५११९ वर्ष और जोड़ते हैं ११,८८,०००+५११९ = ११९३११९ ग्यारह लाख त्रियान्वे सहस्त्र एकसो उन्नीसवाँ जन्मदिवस है श्री राम का , यह गणना वैवस्वत मनु की २८ वीं चतुर्युगी के आधार पर है ।
रामायण में आगे कहा है :
"उत्सवश्च महानासीदयोध्यायं जनाकुला:। रथ्याश्च जनसम्बाधा नटनर्तकसंकुला:।। गायनैश्च विराविण्यो वादकैश्च तथाऽपरै:।। प्रदेयाँश्च ददौ राजा सूतमागधवन्दिनाम् । ब्राह्मणेभ्यो ददौ वित्तं गोधनानि सहस्त्रश: ।। अतीत्यैकदशाहं तु नामकर्म तथाऽकरोत् । ज्येष्ठं रामं महात्मानं भरतं कैकेयी सुतम् ।।" श्लोक संख्या ९,१०,११
अर्थात् उस समय अयोध्या में एक उत्सव मनाया गया जिसमें स्त्री और पुरुषों की अपार भीड़ थी । मार्ग स्त्री-पुरुषों से भरपूर थे ।
इस उत्सव में महाराज दशरथ ने सूत,मागध और बन्दीगणों को पारितोषिक दिये तथा ब्राह्मणों को धन और सहस्त्रों गौएँ प्रदान कीं ।
ग्यारह दिन बीत जाने पर चारों बालकों का नामकरण संस्कार किया गया । कौशल्या के पुत्र का नाम "राम" और कैकेयी के पुत्र का नाम भरत रखा गया ।
💥"शम्"💥"
🔥
🚩
साभार - जाम आर्यवीर
भगवान् महर्षि वाल्मिकी मुनि अपनी अमर कृति "पौलस्त्यवध" अर्थात् रामायणम् में कहते हैं कि:
🔥ततो यज्ञे समाप्ते तु ऋतुनां षट् समत्ययु: । ततश्च द्वादशे मासे चैत्रे नावमिके तिथौ ।। नक्षत्रेऽदितिदैवत्ये स्वोच्चसंस्थेषु पञ्चसु। गृहेषु कर्कटे लग्ने वाक्पताविन्दुना सह। कौसल्या जनयद्रामं दिव्यलक्षणसंयुतम् ।। (श्रीमद् वाल्मिकिय रामायणे बालकाण्डे नवम सर्गे ४-५|| श्लोक) प्रस्तोता:- विदुषामनुचर "जाम आर्य वीर"
अर्थात् :- यज्ञ समाप्ति के पश्चात् छह (६) ऋतुएँ व्यतीय होने पर बारहवें (१२) मास में चैत्र की नवमी तिथि को पुनर्वसु नक्षत्र में जब पाँच ग्रह (सूर्य,मङ्गल,बृहस्पति, शुक्र और शनैश्चर) अपने उच्च स्थान में स्थित थे । कर्क लग्न में तथा चन्द्रमा के साथ बृहस्पति के उदय होने पर कौसल्या के गर्भ से श्री राम का जन्म हुआ ।
महाभारत शान्तिपर्व में श्री राम के जन्म विषय में कहा है : "संध्येश समनुप्राप्ते त्रेतायां द्वापरस्य च।"
अर्थात् त्रेता और द्वापर की संधि में राम हुए ।
भगवान श्री राम का जन्म कब और किस युग में हुआ? - वैदिक रीति से वाल्मीकि रामायण का प्रमाण
इस कलयुग के – ५११८ वर्ष बीत चुके है द्वापर के – ८,६४००० वर्ष बीत चुके हैं ।त्रेता के – १२,९६०००
श्री राम त्रेता और द्वापर के संधि काल में हुए – तो ८,६४०००+ १२,९६००० = २१,६०००० वर्ष हुएँ अब इनका संधि काल = २१६०००० / दो २ भाग करने पर= १०,८०००० वर्ष हुए , अब इसमें संध्याओं का योग करते हैं – ८६४०० + १२९६०० = २,१६,००० / २ = १,०८,००० (ये युग का दशवाँ भाग है जो एक युग से दूसरे युग का संधि काल होता है अतः इसका आधा पूर्व और आधा पश्चात का लेते हैं ) संधि काल + संध्याओ का योग १०,८०,०००+ १,०८,००० = ११,८८,००० वर्ष हुए अब इसमें कलयुग के ५११९ वर्ष और जोड़ते हैं ११,८८,०००+५११९ = ११९३११९ ग्यारह लाख त्रियान्वे सहस्त्र एकसो उन्नीसवाँ जन्मदिवस है श्री राम का , यह गणना वैवस्वत मनु की २८ वीं चतुर्युगी के आधार पर है ।
रामायण में आगे कहा है :
"उत्सवश्च महानासीदयोध्यायं जनाकुला:। रथ्याश्च जनसम्बाधा नटनर्तकसंकुला:।। गायनैश्च विराविण्यो वादकैश्च तथाऽपरै:।। प्रदेयाँश्च ददौ राजा सूतमागधवन्दिनाम् । ब्राह्मणेभ्यो ददौ वित्तं गोधनानि सहस्त्रश: ।। अतीत्यैकदशाहं तु नामकर्म तथाऽकरोत् । ज्येष्ठं रामं महात्मानं भरतं कैकेयी सुतम् ।।" श्लोक संख्या ९,१०,११
अर्थात् उस समय अयोध्या में एक उत्सव मनाया गया जिसमें स्त्री और पुरुषों की अपार भीड़ थी । मार्ग स्त्री-पुरुषों से भरपूर थे ।
इस उत्सव में महाराज दशरथ ने सूत,मागध और बन्दीगणों को पारितोषिक दिये तथा ब्राह्मणों को धन और सहस्त्रों गौएँ प्रदान कीं ।
ग्यारह दिन बीत जाने पर चारों बालकों का नामकरण संस्कार किया गया । कौशल्या के पुत्र का नाम "राम" और कैकेयी के पुत्र का नाम भरत रखा गया ।
💥"शम्"💥"
🔥
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साभार - जाम आर्यवीर
बालकाण्ड मे सर्ग १५ श्लोक २९
ReplyDelete[हत्वा क्रूरम् दुराधर्षम्..........]
ईसमे कहा गया है की राम ११००० वर्षों तक भूः लोक पर रहे।
ईसपर विश्वास कैसे करें??
"सहस्त्रमितिबहुनाम"
Deleteश्रीराम २४वें त्रेता में थे जाम जी गणना सुधार लीजिए अब। करोड में जाएगी गणना । वाल्मिकी रामायण, वायु पुराण ब्रह्माण्ड पुराण सब में २४वां त्रेता है । यदि आपने ये लोगों को इतने में मनवाने के लिए लिखा है कि कम से कम लोग इतना माने तो बात अलग है लेकिन ये सत्य नहीं है । भारतवर्ष की गणना परम्परा के विरुद्ध है ये राम का काल
Deleteमहाभारत का कथन है कि त्रेता और द्वापर की संधि में हुए ठीक परंतु वो त्रेता २८ वां नहीं २४वां हैं
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