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Showing posts from December, 2019

हमारे सनातन संस्कृति परम्परा के गुरुकुल में क्या क्या पढाई होती थी?

आखिर इस स्वतंत्र भारत में गुरुकुलों की स्थापना क्यों नहीं हुई? बाबाओं ने आश्रम बना दिये, मठ बना दिये, चंदे के बलपर बड़े बड़े प्रकल्प चलने लगे, लेकिन गुरुकुलों से दूरी क्यों बनी हुई है? इंग्लैंड में पहला स्कूल 1811 में खुला उस समय भारत में 7,32,000 गुरुकुल थे, आइए जानते हैं हमारे गुरुकुल कैसे बन्द हुए। हमारे सनातन संस्कृति परम्परा के गुरुकुल में क्या क्या पढाई होती थी ? 01 अग्नि विद्या (Metallurgy)  02 वायु विद्या (Flight)  03 जल विद्या (Navigation)  04 अंतरिक्ष विद्या (Space Science)  05 पृथ्वी विद्या (Environment)  06 सूर्य विद्या (Solar Study)  07 चन्द्र व लोक विद्या (Lunar Study)  08 मेघ विद्या (Weather Forecast)  09 पदार्थ विद्युत विद्या (Battery)  10 सौर ऊर्जा विद्या (Solar Energy)  11 दिन रात्रि विद्या  12 सृष्टि विद्या (Space Research)  13 खगोल विद्या (Astronomy)  14 भूगोल विद्या (Geography)  15 काल विद्या (Time)  16 भूगर्भ विद्या (Geology Mining)  17 रत्न व धातु विद्या (Gems & Metals)  18 आकर्षण विद्या (Gravity)  19 प्रकाश विद्या (Solar Energy)  20 तार विद्या (Communication) 

मृत्यु के भय पर विजय - Victory over fear of death Rig Veda Quotes

ओ३म् नमस्ते जी,🙏 आपका दिन शुभ हो! मृत्यु के भय पर विजय - Victory over fear of death - Rig Veda Quotes in Hindi मौत से तुम डर न जाना। मृत्यु भय पर विजय पाना।। मृत्यो: पदं योपयन्तो यदैत, द्राघीय आयु: प्रतरं दधाना:। आप्यायमाना: प्रजया धनेन, शुद्धा: पूता: भक्त यज्ञियास:।। - ऋ० १०/१९/२ अर्थात - हे मनुष्यो! तुम 'मृत्यो: पदं योपयन्त:' मृत्यु के पैर उखाड़ते हुए 'यदैत' आगे बढ़ोगे, तभी 'द्राघीय आयु: प्रतरं दधाना:' दीर्घ आयु पाओगे, और ' प्रजया धनेन आप्यायमाना:' प्रजा और धन से भरपूर बनोगे, किन्तु इसके लिए तुम 'शुद्धा: पूता: यज्ञियास: भवत' शुद्ध, पवित्र और यज्ञमय जीवन बिताओ, संयम-सदाचार से रहो। मृत्यु के कांटे गड़े हैं हर कदम पर। जिन्दगी में पग उठाना तुम संभल कर।। मौत से तुम डर न जाना। मृत्यु भय पर विजय पाना।। चरण चूमेगी स्वयं श्री-सम्पदा। धान्यधन से पूर्ण होयेगी प्रजा।। यज्ञमय जीवन निभाना। राह उल्टी पड़ न जाना।। शुद्ध मन की भावना रखना सदा। ईश चरणों में झुके रहना सदा।। ।।ओ३म्।।

महादेवी वर्मा के उभरते प्रश्न के गरजते उत्तर (मैं हैरान हूँ कविता का उत्तर)

🌼"भ्रामक उभरते प्रश्न आधारभूत गरजते उत्तर"🌸🏹🚩 "भ्रामक प्रश्न" ---------------------- " मैं हैरान हूँ "  — महादेवी वर्मा, (इतिहास में छिपाई गई एक कविता) (1)'' मैं हैरान हूं यह सोचकर , किसी औरत ने क्यों नहीं उठाई उंगली ? तुलसी दास पर ,जिसने कहा , "ढोल ,गंवार ,शूद्र, पशु, नारी, ये सब ताड़न के अधिकारी।" (2)मैं हैरान हूं , किसी औरत ने क्यों नहीं जलाई "मनुस्मृति" जिसने पहनाई उन्हें गुलामी की बेड़ियां ? (3)मैं हैरान हूं , किसी औरत ने क्यों नहीं   धिक्कारा ? उस "राम" को जिसने गर्भवती पत्नी सीता को , परीक्षा के बाद भी निकाल दिया घर से बाहर धक्के मार कर। (4)किसी औरत ने लानत नहीं भेजी उन सब को, जिन्होंने " औरत को समझ कर वस्तु" लगा दिया था दाव पर होता रहा "नपुंसक" योद्धाओं के बीच समूची औरत जाति का चीरहरण ? महाभारत में ? (5)मै हैरान हूं यह सोचकर , किसी औरत ने क्यों नहीं किया ? संयोगिता अंबा -अंबालिका के दिन दहाड़े, अपहरण का विरोध आज तक ! (6)और मैं हैरान हूं ,

तैत्तिरियोपनिषद् का वैदिक सुविचार - taittiriyopanisad quotes in hindi

🔥ओ३म्🔥 📕"तैत्तिरियोपनिषद्"⛳ भृगुवल्ली,दशमोऽनुवाक:, पञ्चम श्लोक ।  💥 स य एवंवित् । अस्माल्लोकात्प्रेत्य । एतमन्नमयमात्मानमुपसङ्क्रम्य । एतं प्राणमयमात्मानमुपसङ्क्रम्य । एतं मनोमयमात्मानमुपसङ्क्रम्य । एतं विज्ञानमयमात्मानमुपसङ्क्रम्य । एतमानन्दमयमात्मानमुपसङ्क्रम्य । इमांल्लोकान्कामान्नी कामरूप्यनुसञ्चरन् । एतत्साम गायन्नास्ते । हा३वु हा३वु हा३वु ॥ 📝अर्थ - (सः, यः , च, अयम्, पुरूषे, यः, च, असौ आदित्ये) वह जो इस पुरूष मनुष्य शरीर में है और जो उस सूर्य में है । (सः, एकः) वह एक ही है (सः, यः, एवम्, वित् ) वह जो ऐसा जानता है (अस्मात् लोकात्, प्रेत्य) इस लोक से मरकर (एतम्, अन्नमयम्, आत्मानम्, उपसङ्क्रम्य) इस अन्नमय आत्मा कोश से आगे बढ़कर (एतम्, प्राणामयम्, आत्मानम्, उपसङ्क्रम्य) इस प्राणमयकोश से आगे बढ़कर (एतम्, मनोमयम्, आत्मानम्, उपसङ्क्रम्य) इस मनोमयकोश से आगे बढ़कर (एतम्, विज्ञानमयम्, आत्मानम् उपसङ्क्रम्य) इस विज्ञानमयकोश से आगे बढ़कर (एतम्, आनन्दमयम्, आत्मानम्, उपसङ्क्रम्य) इस आनन्दमयकोश से आगे बढ़कर (इमान्, लोकान्, कामान्, नीकामरूपी, अनुसञ्चरन् ) कामना क