आखिर इस स्वतंत्र भारत में गुरुकुलों की स्थापना क्यों नहीं हुई? बाबाओं ने आश्रम बना दिये, मठ बना दिये, चंदे के बलपर बड़े बड़े प्रकल्प चलने लगे, लेकिन गुरुकुलों से दूरी क्यों बनी हुई है? इंग्लैंड में पहला स्कूल 1811 में खुला उस समय भारत में 7,32,000 गुरुकुल थे, आइए जानते हैं हमारे गुरुकुल कैसे बन्द हुए। हमारे सनातन संस्कृति परम्परा के गुरुकुल में क्या क्या पढाई होती थी ? 01 अग्नि विद्या (Metallurgy) 02 वायु विद्या (Flight) 03 जल विद्या (Navigation) 04 अंतरिक्ष विद्या (Space Science) 05 पृथ्वी विद्या (Environment) 06 सूर्य विद्या (Solar Study) 07 चन्द्र व लोक विद्या (Lunar Study) 08 मेघ विद्या (Weather Forecast) 09 पदार्थ विद्युत विद्या (Battery) 10 सौर ऊर्जा विद्या (Solar Energy) 11 दिन रात्रि विद्या 12 सृष्टि विद्या (Space Research) 13 खगोल विद्या (Astronomy) 14 भूगोल विद्या (Geography) 15 काल विद्या (Time) 16 भूगर्भ विद्या (Geology Mining) 17 रत्न व धातु विद्या (Gems & Metals) 18 आकर्षण विद्या (Gravity) 19 प्रकाश विद्या (Solar Energy) 20 तार विद्या (Communication)
आर्यावर्त की यह प्रणालिका थी कि सम्राट् भी सामान्य मछुआरे पर अकारण बल प्रयोग नहीं कर सकता था । जन्मना वर्णव्यवस्था का रुढ़ उदय आर्यावर्त के सांस्कृतिक पतन का कारण बना । वर्णचयन पद्धति का नाश होने से वर्णव्यवस्था का स्वरुप बदल गया । महाभारत से १००० वर्ष पूर्व तक यह व्यवस्था डगमगाने लगी, तब से निरर्थक जातियों ने जन्म लेना आरम्भ कर दिया । उससे पूर्व लोह,सूत्र,कुम्भ,सूची,सूवर्णकारादि भृत्यादि वर्ग तो थे ही । किन्तु उत्कृष्टोर्निकृष्ट, अस्पृश्यता, वर्णकलह नहीं था । आर्यों में समानता थी । यही वेद का आदेश था । आर्य कोई वंश,नस्ल वाचक शब्द ही नहीं । श्रेष्ठ मनुष्यों को आर्य कहते हैं । युरोपियनों से पूर्व किसी ने आर्य नस्ल की कल्पना तक नहीं की थी । शाक्यमुनि बुद्ध ने भी आर्य(श्रेष्ठ) होने का उपदेश दिया । भगवत् बुद्ध की मूर्तियों पर तिलक,यज्ञोपवीत,उपवस्त्र,मेखला,जटा, कमण्डल ये सब आर्य संन्यासियों के ही चिह्न हैं । वो लोग धूर्त हैं जो आर्य—द्रविड़ वा आर्य—मूलनिवासी नामक बकवास बाते करते हैं । बुद्ध कहते हैं "एष धम्म सनन्तनो" ये सनातन धर्म है । सनातन में उँ