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Showing posts from September, 2019

हमारे सनातन संस्कृति परम्परा के गुरुकुल में क्या क्या पढाई होती थी?

आखिर इस स्वतंत्र भारत में गुरुकुलों की स्थापना क्यों नहीं हुई? बाबाओं ने आश्रम बना दिये, मठ बना दिये, चंदे के बलपर बड़े बड़े प्रकल्प चलने लगे, लेकिन गुरुकुलों से दूरी क्यों बनी हुई है? इंग्लैंड में पहला स्कूल 1811 में खुला उस समय भारत में 7,32,000 गुरुकुल थे, आइए जानते हैं हमारे गुरुकुल कैसे बन्द हुए। हमारे सनातन संस्कृति परम्परा के गुरुकुल में क्या क्या पढाई होती थी ? 01 अग्नि विद्या (Metallurgy)  02 वायु विद्या (Flight)  03 जल विद्या (Navigation)  04 अंतरिक्ष विद्या (Space Science)  05 पृथ्वी विद्या (Environment)  06 सूर्य विद्या (Solar Study)  07 चन्द्र व लोक विद्या (Lunar Study)  08 मेघ विद्या (Weather Forecast)  09 पदार्थ विद्युत विद्या (Battery)  10 सौर ऊर्जा विद्या (Solar Energy)  11 दिन रात्रि विद्या  12 सृष्टि विद्या (Space Research)  13 खगोल विद्या (Astronomy)  14 भूगोल विद्या (Geography)  15 काल विद्या (Time)  16 भूगर्भ विद्या (Geology Mining)  17 रत्न व धातु विद्या (Gems & Metals)  18 आकर्षण विद्या (Gravity)  19 प्रकाश विद्या (Solar Energy)  20 तार विद्या (Communication) 

गायत्री मंत्र का अर्थ और जानकारी - Gayatri Mantra in Hindi

🌷गायत्री मन्त्र का प्रतिदिन जाप करें🌷 गायत्री मंत्र का अर्थ हिंदी में gayatri mantra ka arth ओ३म् भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं । भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् अर्थात्   - हे मनुष्यो! जैसे हम लोग (भू:) कर्म कांड की विद्या (भुवः) उपासना काण्ड की विद्या और (स्व:) ज्ञानकाण्ड की विद्या को संग्रहपूर्वक पढ़के (य:) जो (न:) हमारी (धी:) धारणावती बुद्धियों को (प्रचोदयात्) प्रेरणा करे, उस (देवस्य) कामना के योग्य (सवितु:) समस्त ऐश्वर्य के देने वाले परमेश्वर के (तत्) उस इन्द्रियों से न ग्रहण करने योग्य परोक्ष (वरेण्यम्) स्वीकार करने योग्य (भर्ग:) सब दुखों के नाशक तेज:स्वरूप का (धीमहि) ध्यान करे, वैसे तुम लोग भी इसका ध्यान करो। गायत्री मंत्र के बारे में कुछ ज्ञान बाल्मीकि रामायण में एक जगह कहा है―कि और सबका छुटकारा हो सकता है,परन्तु कृतघ्न(किये हुए उपकार को न मानने वाला) का कहीं छुटकारा नहीं है। जिस परमात्मा ने हमको इतना सुन्दर अमूल्य मानव-चोला दिया है और शुभ कर्म करने के लिए इस धरती पर भेजा है, उस परमात्मा को ही हम भूले बैठे हैं। सुबह-शाम उसकी महिमा का दीपक अपने ह्रदय मे

चाणक्य नीति सुविचार २ - Chanakya Niti Quotes in Hindi

चाणक्य नीति सुविचार - Chanakya Niti Quotes अत्यन्त कोपं कटुका च वाणी, दरिद्रता च स्वजनेषु वैरम् । नीच प्रसंग ! कुलहीन सेवा, चिन्हानि देहे नरक स्थितानाम् ।। -  (चाण० नी० ७.१६) अर्थात्   - अत्यन्त क्रोध, कटु-वचन, दरिद्रता, दुष्टों का संग, अपने जनों से वैर, कुलहीनों (धूर्तों) की सेवा, ये सब चिह्न नरकवासियों की देह में रहते हैं अर्थात् ऐसे नर-नारी जहाँ रहते हैं वहीं नरक है। चाणक्य नीति वैदिक सुविचार १ - Chankya Quotes in Hindi

यजुर्वेद वैदिक सुविचार १ - Yajurved Vedic Quotes

Yajurved Vedic Quotes in Hindi वेदाहमेतं पुरुषं महान्तमादित्यवर्णं तमसा परस्तात् । तमेव विदित्वाति मृत्युमेति नान्यः पन्था विद्यतेऽयनाय ।। - (यजु० ३१/१८) अर्थात - मैं उस महान पुरुष (ब्रह्म,परमेश्वर) को जानूँ, जो सूर्य के समान देदीप्यमान और अज्ञान-अन्धकार से सर्वथा रहित है। उसी को जानकर मनुष्य मृत्यु को भी लाँघ जाता है। उसे जाने बिना मृत्यु से छूटने का, मोक्ष की प्राप्ति का और कोई उपाय नहीं है।

चाणक्य नीति वैदिक सुविचार १ - Chankya Quotes in Hindi

संसार बन्धन से छूटने का उपाय धर्माऽऽख्याने श्मशाने च रोगिणां या मतिर्भवेत् । सा सर्वदैव तिष्ठेच्चेत् को न मुच्येत बन्धनात् । (चाण० नी० १४.६) भावार्थ ―धर्म-कथा सुनने के समय, श्मशान भूमि में और रोगी होने पर मनुष्य में जो बुद्धि उत्पन्न होती है, यदि वह बुद्धि सदा स्थिर रहे तो संसार-बन्धन से कौन नहीं छूट जाए ?